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लेखनी कहानी -17-Feb-2022 देश प्रेम

देश प्रेम
#वार्षिक लेखन प्रतियोगिता
#लेखनी ।
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ठंडी हवा का झोंका,एक पैगाम लाया है,
सरहरद की चिंगारी का, रंग फिजा़ में छाया है,
धरती ओढे सुर्ख दुशाल, माटी का क्यों रंग है लाल,
भारत मां के बेटो ने,अपना  खून बहाया है,
तब जाकर आजादी का, सौभाग्य हमने पाया है,

जलते शोलों में उतर गए, वीरों की रवानी है,
वीरगति को प्राप्त हुए,सपूतों की जवानी है,
भारत मां की जय हो उनका एक ही नारा था,
मां-बाप के वृद्ध अवस्था का, एकमात्र सहारा था,
 वो मां की आंखों की बाती है,वो लाल पिता की लाठी है,   
हंसते-हंसते जीवन की बगिया,उसने देश प्रेम में बांटी है, 

 बहन के हाथ की राखी भी, रक्षक बन न पायी है,
मातृभूमी पे मर मिटने की, कसम जो उसने खायी है,
वो एक सुहागन की मांग का, चमकता चांद सितारा है,
किंतु उसने जीवन अपना,देश भक्ति पर वारा है,
जीवन कठिनाई से भरा,इच्छाऐं सरल सादी है,
वो मातृभूमि पर मर मिटने वाला, ऐसा आशावादी है,

कतरा-कतरा वो बह गया, लम्हा लम्हा वो सह गया,
हर शाम ढली हर रात जगी, वो जलते दीपक सा रह गया,
धूंप सा वो जलता रहा, बर्फ सा वो जमता रहा,
वो अंगारों की राहों पर, हंस्ते-हंस्ते चलता रहा,
दूर सरहद पार से एक,हवा का झोंका आया है,
जल्दी वापस आऊंगा, ये पैगाम लाया है।


संगीता वर्मा ✍️✍️ ........

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5 Comments

बेहतरीन और उम्दा शब्द संयोजन और अभिव्यक्ति

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Ekta shrivastava

17-Feb-2022 09:43 PM

Bahut badhiya 👏👏

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Anju Dixit

17-Feb-2022 07:28 PM

जय हिंद,

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